पाठ-6
कलीसिया: याजकीय जनता
-
इस्राएल जनता के पवित्रीकरण के लिए बलि चढ़ाने हेतु ईष्वर ने हारून और उनके पुत्रों को चुना। ईष्वर ने मूसा को आदेष दिया कि वे उन्हें पुरोहिताभिशेक दें। पुरोहिताभिशेक के विशय में लेवी ग्रन्थ में इस प्रकार विवरण है: प्रभु के आदेषानुसार मूसा हारून और उनके पुत्रों को दर्षन कक्ष में ले आये। सारी जनता वहाँ एकत्र हुई थी। इसके बाद मूसा ने हारून और उनके पुत्रों को पास बुलाया और जल से नहलाया। उन्होंने हारून को कुरता पहनाया, कमर पट्टी बाँधी, अंगरखा और अन्य पवित्र परिधान पहनाए। फिर हारून के सिर पर अभ्यंजन का तेल उँडेला और उन्हें पवित्र करने के लिए उनका अभ्यंजनकिया। हारून के पुत्रों को भी मूसा ने इस प्रकार पवित्र परिधान पहिनाये (लेवी 8: 1-13)। इस्राएल के पौरोहित्य का इतिहास यहाँ षुरू होता है। ईष्वर को आराधना अर्पित करने के लिए अगल किया हुआ व्यक्ति था पुराने विधान में याजक। ईष्वर के सेवा कार्य के लिए विषेश रूप से नियुक्त होने के कारण उसे पवित्र होना ही था। जनता के प्रति ईष्वर के सामने बलि, भेंट और धूप चढ़ाना था उसका मुख्य कर्तव्य। याजक प्रार्थना द्वारा जनता के लिए मध्यस्थता करता था। याजक को ऐसा व्यक्ति होना था जो ईष्वर की पवित्रता का साक्षी हो। जनता को यह सिखाना भी याजक का कर्तव्य था कि वह प्रभु के सभी आदेषों का पालन करें (लेवी 10: 11)।
इस्राएल याजकीय जनता
ईष्वर ने इस्राएल को इसलिये बुलाया और गुलामी से मुक्त किया कि वह ईष्वर की आराधना तथा याजकीय सेवा करे। इस्राएल के प्रति ईष्वर का याजकीय सेवा-कार्य करने हेतु हारून और उनके पुत्रों को ईष्वर ने अभ्यंजित करके याजक बनाये। सीनई के विधान के समय ईष्वर ने मूसा से यह कहा था, ‘‘यदि तुम मेरी बात मानोगे और मेरे विधान के अनुसार चलोगे, तो तुम सब राश्ट्रों में से मेरी अपनी प्रजा बन जाआगे... तुम मेरे लिए याजकों का राजवंष तथा पवित्र राश्ट्र बन जाओगे’’ (निर्गमन 19: 5-6)।पुराने विधान का पौरोहित्य तथा ईसा का पौरोहित्य
याजकीय सेवा के लिए विषेश रूप से ईष्वर द्वारा चुने हुए हारून और उनके पुत्र इस्राएल जनता के प्रति ईष्वर के सामने आराधना और बलियाँ अर्पित करते थे। यह अधिकार हारून के वंष में पीढ़ियों तक जारी रहा। परन्तु ये आराधना एवं बलियाँ अपूर्ण थीं। समारी स्त्री के साथ बातचीत में ईसा ने आराधना का सही रूप स्पश्ट किया। उन्होंने कहाः ‘‘वह समय आ रहा है जब सच्चे आराधक आत्मा और सच्चाई से पिता की आराधना करेंगे’’ (योहन 4: 23)। ईसा ने यह उस षाष्वत बलि के विशय में कहा था जो उनमें पूर्ण हो जायेगी तथा कलीसिया के भी विशय में जो वह बलि अर्पित करेगी।‘‘प्रत्येक पुरोहित खड़ा होकर प्रतिदिन धर्म-अनुश्ठान करता है और बार बार एक प्रकार के बलिदान चढ़ाया करता है, जो पाप हरने में असमर्थ होते हैं। किन्तु पापों के लिए ही बलिदान चढ़ाने के बाद, वह सदा के लिए ईष्वर के दाहिंने विराजमान हो गये’’ (इब्रानियांे 10: 11 - 12)। कलवारी पर स्वयं को बलि चढ़ाते हुए उन्होंने सच्ची आराधना अर्पित की; इस प्रकार वे षाष्वत पुरोहित बन गये। ईसा ने बकरों या बछड़ों के रक्त से नहीं, बल्कि अपने ही रक्त से षाष्वत मुक्ति हासिल की।