पाठ 7
ईसा ने हमारे घावों को अपने ऊपर ले लिया
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पुराने विधान में नबियों द्वारा वर्णित ‘ईष्वर के सेवक’ का रूप हम प्रभु ईसा में देखते हैं। नबी इसायाह कहते हैः ‘‘उसकी आकृति इतनी विरूपित की गयी थी कि वह मनुश्य नहीं जान पड़ता था; लोग देखकर दंग रह गये थे। उसमें न तो सुन्दरता थी, न तेज और न कोई आकर्शण ही। वह मनुश्यों द्वारा निन्दित और तिरस्कृत था, षोक का मारा और अन्यन्त दुःखी था। लोग उन्हें देख कर मुँह फेर लेते थे।... हम उसे दंडित, ईष्वर का मारा हुआ और तिरस्कृत समझते थे। कृ परन्तु वह हमारे ही रोगों को अपने ऊपर लेता था और हमारे ही दुःखों से लदा हुआ था। .....हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया है। हमारे कुकर्मों के कारण वह कुचल दिया गया है ...(इसायाह 52: 14, 53: 3 - 5)। ईष्वर के सेवक के बारे में नबी इसायाह का दिया हुआ चित्र है यह। ईसा में ये भविश्यवाणियाँ पूरी हुईं।
सभी मनुश्यों के पापों के प्रायष्चित के लिए ईसा ने स्वयं को बलि चढ़ाया। कोडों के मार से उनका पूरा षरीर घावों से भर गया। सिर पर काँटों का मुकुट पहने, हाथ में सरकण्डा लिये, उपहास का पात्र बने ईसा में ‘ईष्वर के सेवक’ का चित्र हम देखते हैं। जब उपहास का पात्र बनकर ईसा क्रूस पर मर गये, तब ‘ईष्वर के सेवक’ के विशय में पुराने विधान की सभी भविश्यवाणियाँ उनमें पूरी र्हुइं।
दुःखभोग की भविश्यवाणियाँ
ईसा को यह दृढ़ धारणा थी कि मैं पिता ईष्वर का भेजा हुआ ‘ईष्वर का सेवक’ हूँ। अपनी मृत्यु के बारे में ईसा की तीनों भविश्यवाणियाँ यही प्रकट करती हैं। पिता की इच्छा पूरी करना ईसा को भोजन से भी अधिक मूल्यवान था; इसलिए पीड़ासहन के मार्ग से उन्हें कोई भी नहीं हटा सका। जब उनके प्रिय षिश्य पेत्रुस ने कहा, ‘प्रभु, यह आप पर कभी नहीं बीतेगी’, तब ईसा उसे डाँटते इुए कहते हंै ‘हट जाओ षैतान’।
कैसरिया फिलिपी प्रदेष में पेत्रुस ने कहा ‘आप मसीह हैं, आप जीवन्त ईष्वर के पुत्र हंै’। इसके तुरन्त बाद ही ईसा अपने दुःखभोग की प्रथम भविश्यवाणी करते हैं। ‘‘उस समय से ईसा अपने ष्श्यिों को यह समझाने लगे कि मुझे येरुसालेम जाना होगा; नेताओं, महायाजकों और षास्त्रियों की ओर से बहुत दुःख उठाना, मार डाला जाना और तीसरे दिन जी उठना होगा (मत्ति 16: 21)। संत मत्ती के सुसमाचार के 17 वें और 20 वें अध्याय में यही भविश्यवाणी दुहराई गयी है (मत्ती 17: 22, 20: 17 - 19)। पेत्रुस ईसा के दुखःभोग की भविश्यवाणी सुनकर उनकोे अलग ले गया और उन्हें यह कहते हुए फटकारने लगा, ‘‘ईष्वर ऐसा न करे। प्रभु, यह आप पर कभी नहीं बीतेगी।’’ इस पर ईसा ने मुड कर पेत्रुस से कहा, ‘‘हट जाओ, षैतान ! तुम मेरे रास्ते में बाधा बन रहे हो। तुम ईष्वर की बातें नहीं बल्कि मनुश्यों की बातें सोचते हो’’ (मत्ती 16: 22 - 23)।
सुसमाचार के लेखक संत मारकुस और संत लूकस ने भी ईसा के दुःख भोग की भविश्यवाणी का उल्लेख किया है। ईसा अपने दुःखभोग, मृत्यु और पुनरुत्थान द्वारा मानव मुक्ति पाने की अपनी योजना इन वचनों से स्पश्ट करते हंै।
मरुभूमि में ऊपर उठाया गया साँप
संत मारकुस और संत लूकस ईसा के दुःखभोग की भविश्यवाणी दोहराते हंै । किन्तु संत योहन एक दृश्टांत द्वारा यह प्रस्तुत करते हैं। जिस तरह मूसा ने मरुभूमि में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव पुत्र को भी ऊपर उठाया जाना है, जिससे जो उसमें विष्वास करता है, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे (योहन 3: 14-15)। इस्राएली जनता की मरुभूमि यात्रा के दौरान हुई एक घटना की ओर यह वचन संकेत करता है।
ईष्वर ने अपने परिपालन के हाथ बढ़ाकर मन्ना, पानी और बटेरों को देते हुए इस्राएल जनता का मार्गदर्षन किया। रात में अग्नि-स्तम्भ और दिन में बादल के स्तम्भ के रूप में ईष्वर उनके साथ चला। फिर भी लोग अधीर होकर ईष्वर और मूसा के विरुद्ध भुनभुनाने लगे, ‘‘आप हमें मिस्र देष से निकाल कर यहाँ मरुभूमि में मरने के लिए क्यों ले आये हैं?यहाँ न तो रोटी मिलती है और न पानी। हम इस रूखे-सूखे भोजन से ऊब गये हैं’’ (गणना 21: 5)। ईष्वर ने सुना कि इस्राएल जनता मूसा के विरुद्ध भुनभुना रहे हंै; प्रभु ईष्वर ने लोगों के बीच विशैले साँप भेजे और उनके दंष से बहुत से इस्रएली मर गये।
तब लोग मूसा के पास आये और बोल,े ‘‘हमने पाप किया। हम प्रभु के विरुद्ध और आपके विरुद्ध भुनभुनाये। प्रभु से प्रार्थना कीजिए कि वह हमारे बीच से साँप को हटा दे’’। मूसा ने जनता के लिए प्रभु से प्रार्थना की और प्रभु ने मूसा से कहा, ‘‘काँसे का साँप बनवाओ और उसे डण्डे पर लगाओ। जो साँप द्वारा काटा गया, वह उसकी ओर दृश्टि डाले और वह अच्छा हो जायेगा’’(गण्ना 21: 6 - 8)। मूसा ने प्रभु की आज्ञा का पालन किया और जब किसी को साँप काटता था, तो वह काँसे के साँप की ओर दृश्टि डाल कर अच्छा हो जाता था।
पाप के दंष से जो नरक दंड के पात्र हो जाते हैं उनको मुक्ति प्रदान करने हेतुु ईसा क्रूस पर उठाया गया। जो आषा के साथ उनकी ओर देखता है उसको जीवन प्राप्त होता है। इस प्रकार काँसे के साँप का प्रतिरूप ईसा में सार्थक हो गया। ईसा ने कहा, ‘‘मैं, जब पृथ्वी के ऊपर उठाया जाऊँगा, तो सब मनुश्यों को अपनी ओर आकर्शित करूँगा‘‘ (योहन 12: 32)। कलवारी में क्रूस पर उठाये गये ईसा सारी दुनिया को अपनी ओर आकर्शित कर रहे हैं। हमारे पापों के प्रायष्चित के लिए हमारे घावों और पीड़ाओं को ईसा ने अपने ऊपर ले लिया; उन्हें हम प्यार करें।
कलीसिया और समूह में जो लोग दुःख भोगते हैं उनको सान्त्वना देना, ईसा के षिश्य होने के नाते, हमारा कर्तव्य है। व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से हमें यह कर्तव्य निभाना है। कलीसिया के अस्पतालों और अन्य सेवा केन्द्रों का लक्ष्य यही षुश्रूशा है। इस प्रकार के षुश्रूशा कार्यों में भाग लेकर हम भी उस ईसा के साक्षी बनें जिन्होंने हमारे घावों को अपने ऊपर ले लिया।
हम प्रार्थना करें
हे मसीह आप ने हमारे प्रेम के प्रति स्वयं को बलि चढ़ाया;
हमारे षरीर और उसकी वासनावों को आपके साथ क्रूस
पर चढ़ाने की षक्ति हमें दीजिए।
हम गायें
गीत
साँप उठाया मूसा ने और मृति भय दूर हुआ
कलवारी की सूली से मृत्यु की मृत्यु हुई है
सूली मानव को देती है स्वर्ग में षाष्वत जीवन
तव सूली की जय हो।।
कविता
मूसाने नागिन लटकाय, विशवायु जो नागिन को
मृतिभय दूरीकृत के समान, नूतन षांति स्थापित समान
गोलगोथा में उठाया, क्रूस ने दिया नव जीवन
तारणकार हम क्रूस को, अर्पण करें हम बारम्बार।।
ईष-वचन पढ़ें और वर्णन करें
इसायाह 52:13 - 53: 12
मार्ग-दर्षन के लिए एक पवित्र वचन
‘हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया है। हमारे कुकर्मों के कारण
वह कुचल दिया गया है।’’ (इसायाह 53: 5)
हम करें
पुराने विधान के ‘ईष्वर के सेवक’ के प्रति जो वर्णन हैं, वे प्रभु मसीह में
कैसे पूर्ण हो गये - तीन नमूने ढूँढ़कर लिखिए।
मेरा निर्णय
ईसा ने मेरे लिए दुःख भोगा। उनकी तरह मैं भी दूसरों की भलाई के
लिए कुछ त्यागने के अवसरों को खुषी सेे स्वीकार करूँगा/गी।
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