पाठ 3
संस्कार एक नहर: जो जीवन प्रदान करती है
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एक बार ईसा यात्रा करते करते थक गए और एक कँुए के किनारेबैठ गए। उस समय एक समारी स्त्री पानी भरने वहाँ आई। उस स्त्रीसे बातचीत करते समय ईसा ने कहाः(योहन 4ः13-14)‘‘जो यह पानी पीता है उसेफिर प्यास लगेगी, किन्तु जो मेरा दिया हुआ जल पीता है उसे फिरकभी प्यास नहीं लगेगी। जो जल मैं उसे प्रदान करूँगा वहउसमें वह स्रोत बन जायेगा, जो अनन्त जीवन के लिए उमड़ता रहताहै’’ ।प्यासे लोगों को ईसा ने संजीवन जल का वादा किया है।वह संजीवन जल है ईश्वरीय जीवन या कृपादान। जो इस कृपादान कोस्वीकार करते हैं, वे अनन्त जीवन के हकदार बन जाते हैं। अनन्तजीवन का यह कृपादान ईसा कलीसिया द्वारा हमको देते हैं।क्या आपने तालाब से खेतों में पानी पहुँचाने कीनहरें देखी हैं ? ये नहरें तालाब से निकलकर आसपास के खेतोंको जल प्रदान करती हैं। यह जल पौधों को सींचता है। वेबढ़ कर फल देते हैं। उसी प्रकार संस्कार वे नहरें हैं जिनकेद्वारा हमें ईश्वरीय जीवन दिया जाता है। इन नहरों का स्रोतईसा मसीह ही है।‘संस्कार’ शब्द ‘कूदाशा’ सिरियाई शब्द की परिभाषा है - इसका अर्थै ‘‘पवित्र करने का कर्म’’ । संस्कार पापमुक्तिऔर ईश्वरीय जीवन देकर हमें पवित्र करते हैं।संस्कार वह दृश्य चिह्न है जो अदृश्य ईश्वरीय जीवन देकर हमेंज्ञानस्नानतैलाभिषेकपवित्र बलिदानमेल-मिलापरोगीलेपनविवाहपुरोहिताभिषेक (हस्तारोपण शुश्रूषा)पवित्र करता है और शक्तिशाली बनाता है जिसकी स्थापना प्रभुईसा मसीह ने की और परिकर्म कलीसिया करती है।स्ंास्कारों में पहले तीन संस्कार प्रवेशक संस्कारकहलाते हैं। इनके द्वारा ही एक व्यक्ति ईसा से संबंध स्थापित
हम गायें
कृपासागर की राहों कोखोला, हे प्रभु येसु तूने।पश्चात्तापी पापी जनों कोआनन्द देता तू है महान।।हम प्रार्थना करें
हे प्रभु, आपने ईश्वरीय जीवन में हमें बढ़ाने के लिएसंस्कारों की स्थापना की। हमें यह वरदान दीजिए कि हमयोग्यता के साथ संस्कारों को स्वीकार करंे।हम ईश वचन पढ़ें
(योहन 4ः1-15)याद करें
‘‘जो मेरा दिया हुआ जल पीता है,उसे फिर कभी प्यास नहीं लगेगी’’ (योहन 4ः14)।मेरा निर्णय
मैं योग्यतापूर्वक और भक्ति भाव सेसंस्कारों को स्वीकार करूँगा/गी।हम करें
छूटे हुए ढूँढ़ कर, क्रम से लिखिए।ज्ञानस्नान
पवित्र बलिदानरोगीलेपनहम नाचें और गायें
जीवन जल के झरनों कोसंस्कारों को प्रभु ने दिया।जीवन अनंत हमें देनेपावन करने, बल देने।।प्रभु येसु के रहस्यों काअनुभव हमको देते हैं।उभारते वे कलीसियाप्यार के सेवक बनाते हैं।।जीवन के संस्कारों कोभक्ति से हम ग्रहण करें।प्यार भरे हृदयों से हमवरदान पायें धन्य बनें।।