पाठ 1
ईसा: जीवन का स्रोत
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ईसा ने ,क बार अपने ि’ा“;ों से कहाþ ‘‘मैं सच्ची दा(ालता हूँ और मेरा पिता बाÛवान है। वह उस डाली को) जो मुझमें नहीं फलती) काट देता है और उस डाली को) जो फलती है) छाँटता है) जिससे वह और भी अि/ाक फल उत्पन्न करे’’ (;ोहन 15ः1-3)।
ईसा ने फिर उनसे कहा : ‘‘मैं दाखलता हूँ और तुम डालियाँ हो। जो मुझ में रहता है और मैं जिसमें रहता हूँ, वही बहुत फलता है; क्योंकि मुझसे अलग रहकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। यदि कोई मुझमें नहीं रहता, तो वह सूखी डाली की तरह फेंक दिया जाता है। लोग ऐसी डालियाँ बटोर लेते हैं और आग में झोंक कर जला देते हैं‘‘ ;योहन 15रू5.6द्ध।
दाखलता में जुड़े रहने से ही उसमें बहने वाला जीवन का रस डालियों तक पहुँचता है। यह जीवन का रस ही डालियों को बढ़ने तथा फलने फूलने की शक्ति प्रदान करता है।
डालियाँ यदि दाखलता से जुड़ी नहीं रहें, तब क्या होगा ? बस ! वे तो जल और पोषण के बिना सूख जायेंगी।
प्रभु ईसा है दाखलता और हम हैं उसकी डालियाँ। ईसा से ही हमें जीवन प्राप्त होता है। ईसा में आस्था रख कर उनके वचनों का पालन करने वालों को
‘‘मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें,बल्कि परिपूर्ण जीवन प्राप्त करें’’ ;योहन 10रू10द्ध।ईसा में विश्वास रख कर, उन्हें प्रेम करते हुए उनसे जुड़े रहने के लिए हमें क्या करना है ? बस, उनकी आज्ञाओं का पालन करते हुए जीना है। ईसा ने कहाः ‘‘यदि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे, तो मेरे प्रेम में दृढ़ बने रहोगे। मैंने भी अपने पिता की आज्ञाओं का पालन किया है और उसके प्रेम में दृढ़ बना रहता हूँ’’ (योहन 15ः10)।ईसा की आज्ञाओं का पालन नहीं करेंगे तो हमारा क्या होगा ? हमारा ईश्वरीय जीवन नष्ट हो जायेगा।ईसा से हम जुड़े रहें, वे जीवन का स्रोत हैं। ईसा की आज्ञाओं काहम गाय
रहोगे तुम यदि मुझमेंरहूँगा मैं भी तुममेंफल नहीं देगी वह डालीदाखलता में जो न रहे (योहन 15ः4)।।हम प्रार्थना करें
हे प्रभु ईसा मसीह, आप हमें ईश्वरीय जीवन बाँट देते हैं; हमें यह कृपा
हम ईश वचन पढ़ें
योहन 15ः1-10
याद करें
मैं दाखलता हूँ और तुम ड़ालियाँ हो।
जो मुझमें रहता है और मैं जिसमें रहता हूँ,
वही बहुत फलता है; क्योंकि मुझसे अलग रह कर तुम कुछ भी नहीं
मेरा निर्णय
मैं ईसा से प्यार करूँगा;/गीः
उनकी आज्ञाओं का पालन करते हुए जिऊँगा/गीः।हम करें
ईसा की तस्वीर के चारों ओर
अपने दोस्तों की तस्वीरें लगाइये या नाम लिखिए।हम नाचें और गायें
दाखलता में रहे बिना,
फल नहीं सकती डाली स्वयंप्रभु येसु में रहे बिना,फल नहीं सकते तुम भी स्वयं।दाखलता तो येसु प्रभुवर,हम सब उसकी डालियाँ हैंजो येसु में जीवित रहता,वह सदा बहुत ही फल लाता है।प्रभु येसु के वचन जीवन,उन वचनों में बने रहें हमहे प्रभु येसु इतना वर दे,तव वचनों को पाने हरदम (योहन 15ः4-7)।।