पाठ 10
ईसा और उनके शिष्य
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ईसा लोगों को सुसमाचार सुनाते रहे और वे उन्हें सिखाते और
गाँव गाँव में घूमते रहे। पिता ईश्वर के प्रेम के बारे में ईसा ने
लोगों को समझाया। ईसा ने कहाः
“समय पूरा हो चुका है, ईश्वर का राज्य निकट आ गया है,
पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो। “
(मारकूस 1:15)
पिता ईश्वर ने ईसा द्वारा हमको जो मुक्ति का संदेश दिया है।
वह है सुसमाचार।
(सुसमाचार का मतलब है शुभ समाचार)
ईसा ने न केवल सुसमाचार सुनाया, बल्कि -
उन्होंने रोगियों को चंगा किया
भूखों को खिलाया
मृतकों को पुनर्जीवित किया
ईसा के शिष्य वे लोग हैं जिन्होंने ईसा में विश्वास किया और जो
उनके पीछे हो लिये। उनमें से कुछ लोगों को ईसा ने चुन लिया। उन्हें प्रेरित कहते हैं।
पेत्रुस याकूब योहन
अन्द्रेयस फिलिप
बरथोलोमी येसु के 12 प्रेरित मत्ती
थोमस अलफाई का पुत्र - याकूब
थद्देयुस सिमोन यूदस
ईसा के सभी शिष्य साधारण लोग थे।
वे अपना सब कुछ छोड़कर उनके पीछे हो लिये। उन्होंने ईसा के वचनों को ध्यानपूर्वक सुना और उनके कार्यों को देखा। उन्होंने तीन वर्षों तक ईसा के साथ जीवन बिताया। शिष्यों ने ईसा को प्यार किया, उनमें विश्वास किया और ईसा के साथ जीवन बिताया। ईसा ने शिष्य लोगों को यह आदेश दियाः “राह चलते यह उपदेश दिया करो - स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। रोगियों को चंगा करो, मुरदों को जिलाओ, कोढ़ियों को शुध्द करो और नरकदूतों को निकालो। (मत्ती 10:7-8)
शिष्य लोगों ने ईसा की आज्ञा मानकर गाँव-गाँव में जाकर सुसमाचार का यह प्रचार किया कि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। हमारे भारत देश में ईसवी 52 में संत थामस सुसमाचार सुनाने आये।। हममें हर एक ईसाई ईसा का शिष्य है। हमारा कर्तव्य है कि हम दूसरों को सुसमाचार सुनायें । हम भी अपने जीवन द्वारा दूसरों के सामने ईसा को दिखायें।