• जब बेथलेहेम में ईसा का जन्म हुआ तब पूर्व में एक अद्भुत तारा दिखाई दिया । उस अद्भुत तारे को देखकर पूर्व देश से तीन ज्ञानी लोग ईसा को ढूंढ कर येरुसालेम आये । उन्होंने उस समय के राजा हेरोद के पास जाकर पूछा -

     

    "यहूदियों के नवजाद राजा कहाँ हैं ?

    हमने उनका तारा उदित होते देखा ।

    हम उन्हें दण्डवत करने आये हैं।"

     

    (मत्ती 2:1-2)

     

     

    राजा हेरोद यह सुन कर घबरा गया। उसने शास्त्रियों की सभा

    बुलाकर उनसे पूछा, "मसीह कहाँ जन्म लेंगे” ? (मत्ती 2:4)

    उन्होंने जवाब दियाः “यहूदिया के बेथलेहेम में।” (मत्ती 25)

     

    राजा हेरोद ने ज्योतिषियों को भेजते हुए कहाः “जाइये, बालक का ठीक ठीक पता लगाइये और उसे पाने पर मुझे खबर दीजिये जिससे मैं भी जा कर उसे दण्डवत करूं।” (मत्ती 2:8)

    ज्ञानी लोग चले गये।

     

    ज्ञानी लोग बालक ईसा के उपहार करने के लिए क्या-क्या लाये थे ? जानते हैं क्या ?

    सोना गंधरस लोबान

    उन्होंने जिस तारे को उदित होते देखा था वह उनके आगे आगे चलता रहा। जहाँ बालक था, वहाँ पहुँचने पर वह तारा ठहर गया। ज्ञानी लोगों ने घर में प्रवेश कर बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा और उसे घुटने टेककर प्रणाम किया।

     

    ज्ञानियों ने बालक को साष्टांग प्रणाम किया।

    ईश्वर के दूत के कथनानुसार ज्ञानी लोग हेरोद के पास नहीं लौटे। वे दूसरे रास्ते से अपने देश चले गये। यह सुनकर हेरोद को बहुत क्रोध आया। हेरोद ने क्रोध से एक राजाज्ञा निकाली कि बेथलेहेम और आसपास के उन सभी बालकों को मरवा डाला जाये जिनकी आयु दो वर्ष की या उससे कम थी।

    हेरोद द्वारा बालक का वध करने की योजना की खबर स्वर्गदूत ने यूसुफ को स्वप्न में दे दी थी। उसी रात को यूसुफ बालक और उनकी माता को लेकर मिस्र देश चले गये। इस प्रकार ईसा हेरोद के हाथ से बच गये। हेरोद की मृत्यु के बाद देवदूत ने यूसुफ़ को स्वप्न में संदेश दिया कि वह बालक और उनकी माँ को ले कर इस्राएल के देश में चले जाये। वे नाज़त नगर में आ बसे। इसलिए ईसा को नाज़री भी कहते हैं।

    इस प्रकार जिन बालकों ने अपनी जिन्दगी की कुरबानी दी है

    उनका पुण्य स्मरण हम दिसम्बर 28 को

    ‘पवित्र बालक दिवस' के रूप में मनाते हैं।

     

    हुम गायें

     

    तारों की प्रभा देख के

    ज्ञानी लोग निकल आये

    सोना लोबान गन्धरस ले

    भेंट चढ़ायी चरणों में।

    आराधे हम इस दिन में

    बालक प्रभु की स्तुति गायें

    ईसा को हम प्यार करें।


     

    थैली से अक्षर निकालकर पूरा कीजिये

    सो_________ बा

    लो...........न ना गन्ध........स

     

     

    हम प्रार्थना करें

     

     

    हे ईश्वर, आप विनम्र चरवाहों और

    ज्ञानी शास्त्रियों को बालक ईसा की उपस्थिती

    की ओर ले चले। हम आपकी स्तुति करते हैं।

     

    इन तारों को क्रम में लिखने पर एक शहर में पहुँच सकते हैं।

     

    ले हे बे

     

    हम अनुकरण करें

     

     

    ज्ञानी लोग ईसा की आराधना करने के लिए कई

    मुसीबतों को झेलते हुए बेतलेहम में पहुँचे।  

    उनके समान हम भी मन्दिर में जाकर ईसा की आराधना करें।