• बालक ईसा अपने माता-पिता, मरियम और यूसुफ, के साथ

    नाजरेथ के एक छोटे से घर में रहते थे।

     

    बालक ईसा ने अपने माता-पिता की आज्ञाओं का पालन किया।

    उनके काम में मदद की।

    ईश्वर तथा मनुष्यों के प्रियंकर होकर बढ़े।

     

    हम गायें

     

    माता पिता अरु भाई बहन

    आज्ञाकारी मैं सबका बनूं

    प्रभु ईसा के मार्गों में

    जीवन भर मैं चलता रहूँ ।

    सबकी भलाई प्रेम से करूँ

    प्रेम से ईसा अपनाऊँ

    आज से मैं सदा काम करूँ

    वरदानों को बांट के दें।

    इनाम पायें

    नीचे दिये गये गोल महल के ठीक बीच में एक इनाम रखा गया है।

    किले के दरवाजे से होते हुए सावधानी से आगे बढ़ने पर इनाम पा सकते हैं। रंगीन पेंसिंल लेकर जल्दी तैयार हो जाये।

    आगे बढ़ने पर दीवार से न टकरायें।

     

    मैं अपने माता-पिता की सहायता करूंगा।

    घर के छोटे-मोटे काम भी करूंगा।

    ईसा की इच्छा यह है कि मैं माता-पिता एवं बड़ों का आदर करूँ,

    उनकी आज्ञाओं का पालन करूं।

    मैं भी ईसा के समान माता-पिता का आदर करते हुए उनकी सहायता करूँगा |

    घर के छोटे मोटे काम करके मैं अच्छा बच्चा होकर आगे बढूँगा |

    किन-किन कार्यों में मैं अपने माता-पिता की मदद कर सकता हैं ?

    मेरे पिताजी का नाम

    मेरी माताजी का नाम

     

    हाथ जोड़ें

    हे ईसा, आप आज्ञापालन का नमूना हैं, माता-पिता

    एवं बड़ों की आज्ञाओं का पालन करना मुझे भी सिखाइयें।

    चेहरा खिंचे

    यह आन्टनी है। भले काम करने पर वह हँसता है।

    बुरे काम करने पर वह रोता है।

    निम्नलिखित विषय पढ़ते समय भले-बुरे कामों

    के अनुसार आन्टणी का चेहरा खींचिए।

    भले काम बुरे काम 1.माता-पिता का आदर किया।

    2.कक्षा के अन्य बच्चों से झगड़ा किया।

    3.दोस्तों की मदद की।

    4.संध्या-प्रार्थना श्रद्धा भक्ति से की

    5.कक्षा–कार्य पूरा नहीं किया।

    याद करें

     

    "ईसा की बुद्धि और शरीर का विकास होता गया।

    वह ईश्वर तथा मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ते गया।”

     

    (लूकस 2:52)