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    आत्मा से संचालित लोगों ने अपने जीवन में ईसा मसीह का साक्ष्य दिया। ईसा मसीह के बारे में प्रचार करने के लिए प्रेरित संत थोमस भारत आये। वे ईसर्वी 52 में कोडंगल्लूर नामक जगह पहुँचे। केरल की कई जगहों पर उन्होंने सुसमाचार की घोषणा की। बहुत लोगों ने ईसा मसीह में विश्वास किया। इस तरह वहाँ मसीही समूह का प्रारंभ हुआ। कोडुगंल्लूर, पालयूर , कोटक्काव, कोक्कमंगलम, निरणम, कोल्लम और चायल (निलक्कल)- इन सात जगहों में उन्होंने कलीसिया की स्थापना की। प्रेरित संत थोमस ईसवीं 72 में मैलापुर में शहीद हुए।

     

    प्रेरित संत थोमस शहीद बनकर मर गये। उसी की स्मृति में जुलाई ३ को दुकराना पर्व के नाम से हम मनाते हैं। ‘दुकराना' शब्द का अर्थ है, स्मरण।

     

    जिन्होंने अपने विश्वास के साक्षी बन कर जीवन न्यौछावर किये हैं वे शहीद कहलाते है। प्रथम शहीद संत स्तेफनुस है। प्रेरितों की सहायता के लिए चुने गये उपयाजकों में से एक था संत स्तेफनुस। उन्होंने सुसमाचार की घोषणा की और चमत्कार दिखाये। यहुदियों ने पत्थर मारकर उनकी हत्या की। उन्होंने अपने अपराधियों के लिये प्रार्थना करते हुए अपना जीवन त्याग दिया। इस प्रकार सुसमाचार के लिए शहीद हुए बहुत लोग कलीसिया में हैं। प्रेरितों में संत योहन को छोड़कर बाकी सब शहीद हुए हैं। संत सेबास्ट्रयन, संत जार्ज, संत आग्नस और अन्तेखिया के संत इग्नेशियस आदि अनेक शहीद हैं।

     

    कलीसिया में शहीदों के अलावा कई संत भी हैं: संत अगस्तिन, संत अप्रेम, संत अंथोनी, असीसी के संतफ्रांसिस, संत तेरेसा, संत फ्रांसिस जेवियर, संत डोमिनिक सावियो, संत मरिया गोरेथी आदि।

     

    भारत के धन्य चावरा, धन्य अल्फोन्सा,धन्य मरियम तेरेसा, धन्य मदर टेरेसा, धलल्य कुंजच्चन आदि ने आत्मा की शक्ति से कई प्रकार से ईसा का साक्ष्य देकर जीवन बितायाथा।

     

    पवित्र आत्मा के फलों से इन संतों का जीवन परिपूरित था।

    एक व्यक्ति में पवित्र आत्मा जीवित है या नहीं इसको पहचानने का चिन्ह है पवित्रात्मा का फल। पवित्रात्मा के फल नौ हैं - प्रेम, आनन्द, शान्ति, सहन शीलता, मिलनसारी, दयालुता, ईमानदारी, सौम्यता और संयम। (गलातियों 5:22)

    पवित्र आत्मा के इन फलों द्वारा हम पवित्रता में आगे बढ़ते हैं। ईसा की इच्छा यह है कि हम सब संत बन जायें।

    ज्ञानसस्नान के साथ प्राय: हम एक संत का नाम स्वीकार करते हैं। उनका जीवन हमारे लिए विशेष रूप से आदर्श होना चाहिये। संतों के द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चले तो हम भी उनके समान स्वर्ग के वारिस बन जायेंगे। संतों के आदश अनुसार जीने की कृपा के लिए हम उनका मध्यस्थ लेकर प्रार्थना करें।

    भलाई में बढ़ने में हमारी सहायता करने के लिये ईश्वर द्वारा दिये गये मित्र हैं रक्षक दूत।

    भलाई के मार्ग पर सदा चलने के लिए रक्षक दूत हमारी मदद करते हैं।

     

    हम प्रार्थना करें

    हे प्रभु ईसा मसीह, संतों जैसे आत्मा के फलों में बढ़कर

    आपका साक्षी बनकर जीने की कृपा मुझे दीजिए।

     

     

    शब्द पहेली

     

    शहर में है, नगर में नहीं

    हीरा में है, मोती में नहीं

    दर्पण में है, शीशे में नहीं

    उत्तर----------------

     

    हम गायें

     

    पवित्र आत्मा के सब वरदान हममें प्राप्त होने को

    पवित्रात्मा में आगे बढ़ने नितदिन प्रार्थना हम करें।

    संत थोमस ने दीप जलाया ईश प्रेम का दीप जलाया

    जागो हम सब ज्योति जलायें ईश प्रेम की ज्योति जलायें

    स्वर्गीय संत स्वर्गदूतगण माता मरियम भी हो साथ।

     

    लिखें

     

    मेरी पल्ली के मध्यस्थ संत का नाम..........

    मेरे स्वर्गीय संत का नाम.................

    भारत के पांच धन्य जनों के नाम...........

     

    मेरा निर्णय

     

    आत्मा के फल प्रकट करते हुए पवित्र जीवन बिताने की मैं कोशिश करूंगा/गी।