पाठ-9
संस्कार और ख्रीस्तीय जीवन
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येरुसालेम मंदिर में षिविर-पर्व मनाया जा रहा है। पर्व में भाग लेने के लिए कई देषों से लोगों की बड़ी भीड़ जमी हुई है। पर्व के अंतिम और मुख्य दिन ईसा उठ खड़े हुए और उन्होंने पुकार कर कहा: यदि कोई प्यासा हो, तो वह मेरे पास आए जो मुझमें विष्वास करता है, वह अपनी प्यास बुझाए। जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है उसके अन्तस्तल से संजीवन जल की नदियाँ बह निकलेंगी। उन्होंने यह बात उस आत्मा के विशय में कही, जो उनमें विष्वास करने वालों को प्राप्त होगा (योहन 7संस्कार वे मुक्तिदायक चिह्न हैं जो हमें पवित्र आत्मा प्रदान करते हैं। ईसा द्वारा त्रियेक ईष्वर प्रकट किया गया; उस ईष्वर को अनुभव करना और बाँटना है ख्रीस्तीय जीवन। पवित्रात्मा की षक्ति से यह संभव होता है। कलीसिया में पवित्रात्मा सदा सक्रिय है। कलीसिया के विभिन्न अनुश्ठानों, विषेशकर संस्कारों, द्वारा पवित्रात्मा हमें ईष्वरीय जीवन प्रदान करता और हममें ईष्वरीय कृपा की धाराएँ बरसाता है। ( 7: 37-39)।
संस्कार वे मुक्तिदायक चिह्न हैं जो हमें पवित्र आत्मा प्रदान करते हैं। ईसा द्वारा त्रियेक ईष्वर प्रकट किया गया; उस ईष्वर को अनुभव करना और बाँटना है ख्रीस्तीय जीवन। पवित्रात्मा की षक्ति से यह संभव होता है। कलीसिया में पवित्रात्मा सदा सक्रिय है। कलीसिया के विभिन्न अनुश्ठानों, विषेशकर संस्कारों, द्वारा पवित्रात्मा हमें ईष्वरीय जीवन प्रदान करता और हममें ईष्वरीय कृपा की धाराएँ बरसाता है।
संस्कार वे मुक्तिदायक चिह्न हैं जो हमें पवित्र आत्मा प्रदान करते हैं। ईसा द्वारा त्रियेकईष्वर प्रकट किया गया; उस ईष्वर को अनुभव करना और बाँटना है ख्रीस्तीय जीवन। पवित्रात्माकी ाक्ति से यह संभव होता है। कलीसिया में पवित्रात्मा सदा सक्रिय है। कलीसिया के विभिन्नअनु ठानों, विषे ाकर संस्कारों, द्वारा पवित्रात्मा हमें ईष्वरीय जीवन प्रदान करता और हममें ईष्वरीय कृपा की धाराएँ बरसाता है।
संस्कार ईश्वरीय जीवन देने वाल चिह्न
संस्कार वे दृष्य चिह्न हैं जो अदृष्यईष्वरीय जीवन या कृपा देकर हमें पवित्रता औराक्ति प्रदान करते हैं तथा ईसा द्वारा स्थापितएवं कलीसिया द्वारा दिए जाते हैं। मसीह जोमुक्ति प्रदान करते हैं उसमें संस्कार हमेंभागीदार बनाते हैं। मसीह जो सदा जीवित रहते हैं और जीवन प्रदान करते हैं उनके ारीर सेनिकलने वाली ाक्ति है संस्कार (कैथलिककलीसिया का विष्वास संक्षेप 1116)।कलीसिया का सारा आराधना-जीवन पवित्र बलिदान और संस्कारों पर आधारित है (कैथलिककलीसिया का विष्वास संक्षेप 1113)। सातसंस्कार ख्रीस्तीय जीवन के सब चरणों एवं महत्वपूर्ण पलों से सम्बन्ध रखते हैं। वे ख्रीस्तीयों के विष्वास-जीवन को जन्म, विकास, चंगाई और दौत्य निभाने की ाक्ति प्रदान करते हैं(याकूब 1: 21)।गतिविधि-1
चिह्नों और प्रतीकों के वि ाय मेंपाठ 2 में जो कुछ पढ़ा है उसके मुख्य अंषयाद करके लिखिए। उनके आधार परसंस्कारों को कैसे समझ सकते हैं?अलग-अलग दल बन कर चर्चा कीजिए।चर्चा के फल का एक रिपोर्ट तैयार करकेकक्षा में प्रस्तुत कर सकते हैं।संस्कार ईश्वरीय जीवन देने वाल चिह्ना
क्ति प्रदान करते हैं तथा ईसा द्वारा स्थापितएवं कलीसिया द्वारा दिए जाते हैं। मसीह जोमुक्ति प्रदान करते हैं उसमें संस्कार हमें भागीदार बनाते हैं। मसीह जो सदा जीवित रहतेहैं और जीवन प्रदान करते हैं उनके ारीर सेनिकलने वाली ाक्ति है संस्कार (कैथलिककलीसिया का विष्वास संक्षेप 1116)।कलीसिया का सारा आराधना-जीवन पवित्रबलिदान और संस्कारों पर आधारित है (कैथलिककलीसिया का विष्वास संक्षेप 1113)। सातसंस्कार ख्रीस्तीय जीवन के सब चरणों एवंमहत्वपूर्ण पलों से सम्बन्ध रखते हैं। वे ख्रीस्तीयोंके विष्वास-जीवन को जन्म, विकास, चंगाईऔर दौत्य निभाने की ाक्ति प्रदान करते हैं(याकूब 1: 21)।संस्कार मुक्तिदायक चिह्न
ईष्वर के पुत्र ईसा ने अपने मनु यावतार, दुःखभोग, क्रूसमरण और पुनरुत्थान द्वारा मानव जाति को पाप की गुलामी से छुड़ा कर उसे मुक्ति प्रदान की। पुनरुत्थित ईसा कलीसियामें उपस्थित होकर सब को इस मुक्ति की ओर आमंत्रित करते हैं। जो उनमें विष्वास करते हैं उन सबको ईष्वरीय जीवन देते हुए वे यह प्रदान करते हैं। उनकी मुक्तिदायक उपस्थिति हमें ईष्वरीय जीवन देती है; संस्कारों द्वारा हम इस उपस्थिति का अनुभव करते हैं।संस्कार हमें पवित्र करते हैं
जैसे सीरियाई ाब्द ‘कूदाषा’ का अर्थ है, वैसे ही हर एक संस्कार हमें पवित्रीकृत करताहै। क्योंकि जो पाप मोचन दे कर हमें पवित्रीकृत करते हैं वही ईसा संस्कारों का अनु ठान करतेहैं। इसके अतिरिक्त हर एक संस्कार हमें उस मुक्तिदायक पाप मोचन की ्रओर ले आता है जिसेईसा ने अपनी मृत्यु एवं पुनरुत्थान द्वारा साधित किया। ईष्वर की पवित्रता में सहभागिता हैपाप मोचन का यह अनुभव। संस्कारों द्वारा ईसा हमें प्रचुर मात्रा में पवित्र आत्मा प्रदान करते हैंतथा पाप मोचन देखकर अपनी कृपा से हमें भर देते हैं। इस प्रकार संस्कार हमारे जीवन के भिन्न-भिन्न चरणों को पवित्र करते हैं और हमें ईष्वर की कृपा में बढ़ाते हैं।संस्कार हमें पवित्र करते हैं
जैसे सीरियाई ाब्द ‘कूदाषा’ का अर्थ है, वैसे ही हर एक संस्कार हमें पवित्रीकृत करताहै। क्योंकि जो पाप मोचन दे कर हमें पवित्रीकृत करते हैं वही ईसा संस्कारों का अनु ठान करतेहैं। इसके अतिरिक्त हर एक संस्कार हमें उस मुक्तिदायक पाप मोचन की ्रओर ले आता है जिसेईसा ने अपनी मृत्यु एवं पुनरुत्थान द्वारा साधित किया। ईष्वर की पवित्रता में सहभागिता हैपाप मोचन का यह अनुभव। संस्कारों द्वारा ईसा हमें प्रचुर मात्रा में पवित्र आत्मा प्रदान करते हैतथा पाप मोचन देखकर अपनी कृपा से हमें भर देते हैं। इस प्रकार संस्कार हमारे जीवन के भिन्न-भिन्न चरणों को पवित्र करते हैं और हमें ईष्वर की कृपा में बढ़ाते हैं।संस्कार और विष्वास
ईसा के जरिये प्रदत्त कृपा पाने के लिए हमें विष्वास जरूरी है। जो विष्वास नहीं करतेहैं, उनके लिए संस्कार केवल अनु ठान हैं। मानव को मुक्ति के ईष्वरीय रहस्य प्रकट करने के लिए ईष्वर कलीसिया में चिह्नों, याने संस्कारों का प्रयोग करता है। मानव तो अपना विष्वासकलीसिया में चिह्नों द्वारा घो िात करता है। उदाहरण के लिए जब ज्ञान स्नान द्वारा कृपा कीधाराएँ बहकर मानव में पहुँचती हैं तब मानव उसी ज्ञानस्नान द्वारा ईष्वर में अपना विष्वास और समर्पण खुलकर घो िात करता है। इस प्रकार संस्कार ऐसी वेदियाँ बने रहते हैं जहाँ ईष्वर कामुफ्त दान और मानव का विष्वास आ मिलते हैं।ख्रीस्तीय जीवन में संस्कारों का स्थान
एक व्यक्ति के जीवन के सभी महत्वपूर्ण चरणों में संस्कार मुक्ति का अनुभव प्रदान करते हैं।ज्ञानस्नान द्वारा हम ईष्वर की संतान बनकर दुबारा जन्म लेते हैं और मसीह के ारीर -कलीसिया - के अंग बन जाते हैं; तैलाभि ोक द्वारा पवित्रात्मा की ाक्ति से भरपूर होकरविष्वास में दृढ़ बनाए जाते हैं। पवित्र बलिदान द्वारा आत्मिक पो ाण पाकर हम बढ़ते हैं।मेलमिलाप संस्कार द्वारा अपराधों तथा पापों से मोचित होकर हम ईष्वर एवं भाई-बहिनों केसाथ मेलजोल में आ जाते हैं। रोगी-लेपन के संस्कार द्वारा ाारीरिक और आत्मिक चंगाई एवंसांत्वना भी हमें मिलती हैं। पुरोहिताभि ोक द्वारा कलीसिया की सेवा के लिए विषे ा रूप सेअलग किए जाते हैं और पूर्ण किए जाते हैं। विवाह द्वारा प्रेम में समर्पण करने और ईष्वर केसृ िट-कर्म में भागीदार होने के लिए विषे ा रूप से बुलाए जाते हैं। एक व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक कृपा की ाक्ति से संस्कार उसे परिपो िात करते हैं।ईसा की उपस्थिति संस्कारों में
हर एक संस्कार में ईसा की सच्ची उपस्थिति है। संस्कारों में उपस्थित ईसाही उनके द्वारा हमें पवित्रीकृत करते और मुक्ति के अनुभव तक ले चलते हैं। द्वितीय वैटिकनमहासभा सिखाती हैः ‘‘इतना महत्वपूर्ण कार्य निभाने के लिए मसीह अपनी कलीसिया में,विषे ाकर आराधना विधि से संबंधित कर्मों में सदा उपस्थित हैं। ... जिसने सलीब पर स्वयं कोअर्पित किया, वही मसीह अब पुरोहित की ाुश्रू ाा द्वारा वही अर्पण करते हैं। परम प्रसाद में वेविषे ा रूप से उपस्थित हैं। अपनी ही ाक्ति से वे संस्कारों में उपस्थित हो जाते हैं। इसलिए जब कोई ज्ञानस्नान देताहै, तब वास्तव में मसीह ही ज्ञानस्नान देते हैं’’ (आराधनाक्रम - 7)। अन्ततः कलीसिया सिखाती है कि जिसनेपुरोहिताभि ोक स्वीकार किया उसके द्वारा ईसा ही संस्कारोंका अनु ठान करते हैं और मुक्ति को संभव बनाते हैं (कलीसिया का विष्वास संक्षेप 1584)।पूर्वी सिरियायी कलीसिया के संस्कारों में प्रयुक्त अनेक प्रार्थनाएँ यह स्प ट करती हैं कि मसीह ही संस्कारों द्वारा कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए मेलमिलाप संस्कार में पापमोचन कीप्रार्थना इस प्रकार हैः ‘‘पष्चातापी पापियों को पवित्र करने वाले प्रभु की कृपा से आप पापों सेमुक्त हो गए हैं।’’ रोगी-लेपन संस्कार में हस्तारोपण की प्रार्थना इस प्रकार ाुरू होती हैः ‘‘प्रभु मसीह ने अपने षि यों से कहा कि यदि वे रोगियों पर हाथ रखकर प्रार्थना करेंगे, तो रोगीचंगाई प्राप्त करेंगे; वही प्रभु मसीह आपको चंगाई प्राप्त करे।’’ईष वचन पढ़ें और मनन करें
योहन 15: 1 - 10कंठस्थ करें
‘‘तुम मुझमें रहो और मैं तुममें रहूँगा’’ (योहन 15: 4)।हम प्रार्थना करें
हे ईसा, संस्कारों द्वारा आप हममें प्रचुर मात्रा में कृपाबरसाते हैं; संस्कारों को योग्य रीति से ग्रहण कर पवित्रता मेंबढ़ने की सहायता हमें प्रदान कीजिए।मेरा निर्णय
संस्कारों को ग्रहण करके उनमें उपस्थित ईसा के साथ मैं व्यक्तिगतकलीसिया के आचार्य कहते हैं
‘‘यह प्रमाणित किया गया है कि कलीसिया के संस्कार बहुत ही प्राचीन हैं। समझलीजिए कि वे बहुत ाक्तिदायक ही हैं। चूँकि वे प्रचुर मात्रा में कृपा बरसाते हैं। कलीसियाअपनी संतानों एवं पड़ोसियों को संस्कारों को ग्रहण करने के लिए प्रेरित करती है।’’